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महान तबला वादक जाकिरहुसैन का दुनियाँ को अलविदा -पीढ़ियां इस बात पर गर्व करेगी कि ऐसा पुष्प हिंद के आंगन में उगा था 

 

पूरी दुनियाँ उस्ताद जाकिर हुसैन की तबला थापों के संगीत की खुशबू से महकती है 

 

उस्ताद जाकिर हुसैन से प्रेरित होकर मैंने भी संगीत (तबला) वादन में 5 वर्षीय संगीत माध्यमा किया अब विशारद शीघ्र पूर्ण करूंगा- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर संगीत क्षेत्र में आज भी आश्चर्य होता है कि क्या सुर सम्राट तानसेन भारत में ही पैदा हुए थे? उसी प्रकार ही आगे के दौर में हमारी पीढ़ियां इस बात पर गर्व करेगी कि हिंद के आंगन में ऐसे पुष्प भी उगे थे।तबला वादक उस्ताद हमारे वतन के थे, जिनकी कमी को कभी पूर्ण नहीं किया जा सकता। मैं खुद भी उनका फैन रहा हूं व उनके तबला वादन की कला से प्रेरित होकर मैं भी संगीत सीखने व तबला वादन में 9 वर्षीय कोर्स अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय मुंबई से करने की ठानी व 5 वर्ष तक संगीत माध्यम (तबला) वादन में सफलता पूर्वक पूर्ण किया जिसमें रिटर्न ओरल व प्रैक्टिकल परीक्षाएं होती है जो मैंने सफलतापूर्वक पास की व संगीत माध्यमा बना, परंतु कुछ व्यस्तता के कारण बाकी के दो वर्ष विशारद अधूरे रह गए हैं जिसे पूर्ण करने का संकल्प मेरे मन में है। आज हम उस्ताद जाकिर हुसैन की नम आंखों से चर्चा कर रहे हैं, क्योंकि दिनांक 16 दिसंबर 2024 को तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन हो गया है,उन्होंने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। यहां उनका इलाज चल रहा था।उनके परिवार ने सोमवार को उनके निधन की पुष्टि की जो पिछले दो हफ्ते से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पताल में भरती थे। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग के इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, महान तबला वादक जाकिर हुसैन का दुनियाँ को अलविदा, पीढ़ियां इस बात पर गर्व करेगी कि ऐसाअनमोल पुरुष हिंद के आंगन में उगा था।

साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तरपर मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन की करें तो, सोमवार सुबह परिवार ने जाकिर हुसैन के निधन की पुष्टि कर दी है परिवार ने खुलासा किया कि उनकी मृत्यु इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से हुई, जो फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है। मीडिया के द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अंतिम सांस लेने वाले तबला वादक जाकिर हुसैन को सैन फ़्रांसिस्को में ही सुपुर्द-ए खाक़ किया जाएगा और उन्हें भारत नहीं लाया जाएगा। मीडिया में बताया कि जाकिर हुसैन को संभवत: बुधवार के दिन सैन फ़्रांसिस्को में दफन किया जाएगा। जाकिर हुसैन के भाई फ़ज़ल कुरैशी भारत से अमेरिका पहुंच गये हैं और बहन खुर्शीद औलिया भी लंदन से अमेरिका पहुंच गई है। 

साथियों बात अगर हम उस्ताद के बारे में जानने की करें तो ज़ाकिर हुसैन बेहद मशहूर तबला वादक थे।उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर अपनी पहचान बनाई थी।1951 में उस्ताद अल्लाह रक्खा के घर जन्मे जाकिर बचपन से ही बेहद टैलेंटेड थे, उन्होंने सात साल की उम्र में ही परफॉर्म करना शुरू कर दिया था।जाकिर हुसैन न सिर्फ एक महान तबला वादक थे बल्कि एक बेहतरीन संगीतकार भी थे, उन्होंने हीट एंड डस्ट और इन कस्टडी जैसी फिल्मों के लिए म्यूजिक भी दिया था, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बैले और आर्केस्ट्रा प्रोडक्शन के लिए कुछ मैजिकल कंपोजिशन भी बनाई थीं। जाकिर हुसैन के परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला उनकी बेटियां अनीसा कुरैशी (उनके पति टेलर फिलिप्स और उनकी बेटी जारा) और इसाबेला कुरैशी, उनके भाई तौक कुरैशी और फजल कुरैशी व उनकी बहन खुर्शीद औलिया हैं। साथियों बात अगर हम उस्ताद पर पुरस्कारों सम्मानों की बारिश की करें तो,पद्मश्री से लेकर पद्मविभूषण से किये गये थे सम्मानितजाकिर हुसैन को कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था, उन्हें साल 1988 में पद्मश्री से नवाजा गया था. इसके बाद साल 2002 में उन्हें पद्मभूषण और साल 2023 में पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्‍च पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. हुसैन को 1990 में संगीत के सर्वोच्च सम्मान 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' से भी नवाजा गया था 4 बार ग्रैमी पुरस्कार से हुए थे सम्मानितबता दें कि जाकिर हुसैन को कंटेम्पररी वर्ल्ड म्यूज़िक एलबम कैटगरी में 'ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट' एल्बम के लिए 2009 में 51वें ग्रैमी अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया था. गौरतलब है कि उस्ताद जाकिर हुसैन को अपने करियर में 7 बार ग्रैमी पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था जिनमें से उन्हें चार बार इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

साथियों बात अगर हम उस्ताद के निधन पर आम आदमी से देखकर पीएम,विपक्षी नेता सहित राजनीतिक बॉलीवुड व अन्य क्षेत्र के सामान्य व्यक्तियों द्वारा दुखी होकर संवेदनाएं प्रकट करने की करें तो दुखी होने की करें तो, प्रधानमंत्री ने एक्स पर ज़ाकिर हुसैन को याद करते हुए पोस्ट किया है, कि ज़ाकिर हुसैन को भारतीयशास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति लाने के लिए याद किया जाता रहेगा.हुसैन को जीनियस बताते हुए लिखा, वे तबले को ग्लोबल स्टेज तक ले गए, उन्होंने भारत की शास्त्रीय परंपराओं को ग्लोबल म्यूज़िक से मिलाया और इसलिए वो सांस्कृतिक एकता के आइकन बन गएजावेद अख़्तर ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि संगीत की दुनिया ने एक 'ताल' खो दिया है।जावेद अख़्तर ने लिखा है,एक महान संगीतकार, एक महान इंसान, एक अच्छे मित्र ज़ाकिर हुसैन साहब हमें छोड़कर चले गए.नेताओं ने सोशल मीडिया पर जताया दुखलोकसभा में विपक्ष के नेता ने पोस्ट किया,महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन की खबर बेहद दुखद है। उनका निधन संगीत जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और फैंस के साथ हैं। उस्ताद जाकिर हुसैन जी अपनी कला की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेगी।' असम के सीएम ने भी एक्स पर दुख जताया। संचार मंत्री और महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी सोशल मीडिया पर दुख व्यक्त किया।

साथियों बात अगर हम उस्ताद क़े आईपीएफ बीमारी से ग्रस्त होकर निधन होने की करें तो,इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ ) क्या है? इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। आप सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन हमारे फेफड़ों में छोटी-छोटी हवा की थैलियों से होते हुए खून में जाता है और फिर यहां से शरीर के सभी अंगों को मिलता है। लेकिनआईपीएफ होने पर फेफड़ों के भीतर निशान ऊतक बढ़ने लगते हैं। जिससे सांस लेना मुश्किल होने लगता है। उम्र के साथ ये समस्या और भी खराब होने लगती है। इससे फेफड़ों के जरिए खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जिससे आपके शरीर के दूसरे अंग ठीक से काम नहीं कर पाते हैं।इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षण और इलाज,,आपको बता दें इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस का कोई इलाज नहीं है इस सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है। स्थिति गंभीर होने पर लंग ट्र्रांसप्लांट का विकल्प होता है। धीरे धीरे फेफड़ों में ऊतक बढ़ने लगते हैं और फेफड़ों में जख्म जैसे हो जाके हैं। जिसकी वजह से आपको सीने में दर्द या जकड़न, पैर में सूजन, भूख में कमी, गले में खराश, खांसी, थकान महसूस होना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, वजन घटना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। अगर आप किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित हैं तो मुश्किलें और बढ़ने लगती हैं।

अतः अगर हम उपरोक्त पुरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महान तबला वादक जाकिरहुसैन का दुनियाँ को अलविदा -पीढ़ियां इस बात पर गर्व करेगी कि ऐसा पुष्प हिंद के आंगन में उगा था।पूरी दुनियाँ उस्ताद जाकिर हुसैन की तबला थापों के संगीत की खुशबू से महकती है।उस्ताद जाकिर हुसैन से प्रेरित होकर मैंने भी संगीत (तबला) वादन में 5 वर्षीय संगीत माध्यमा किया अब विशारद शीघ्र पूर्ण करूंगा

 

*-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*